इन स्कूलों में अध्यापक नहीं, बच्चों का भविष्य अंधेरे में

Edited By Updated: 11 Oct, 2016 04:35 PM

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हिमाचल प्रदेश के सरकारी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी अब छात्रों के भविष्य पर भारी पडऩे लगी है। सरकारी संस्थानों में...

बिझड़ी: हिमाचल प्रदेश के सरकारी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी अब छात्रों के भविष्य पर भारी पडऩे लगी है। सरकारी संस्थानों में अध्यापकों के रिक्त चल रहे पदों के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है।

शिक्षण संस्थानों में जिन विषयों के अध्यापक नहीं हैं, उन विषयों में छात्र पिछड़ रहे हैं। रिक्त चल रहे शिक्षकों के पदों के पीछे कारण कोई भी रहा हो लेकिन अध्यापकों की कमी होने से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जरूर होता दिख रहा है। बिना अध्यापकों के विद्यार्थियों को पढ़ाई करना मुश्किल हो रहा है।

यही सबसे बड़ा कारण बन रहा है कि हर साल सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में कमी आ रही है। बच्चों के अभिभावक भी मजबूरन सरकारी स्कूलों के बजाय निजी शिक्षण संस्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। अभिभावकों की जेबों पर भारी-भरकम राशि का बोझ पडऩे के बावजूद भी वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेज रहे हैं।

सरकारी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों में हर साल कमी का एक मुख्य कारण यह भी है कि सरकारी शिक्षकों के खुद के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। सरकारी अध्यापक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की बजाय निजी संस्थानों में भेज रहे हैं। ऐसा ही वाक्या विकास खंड बिझड़ी के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल महारल व धबीरी में चल रहा है।

महारल स्कूल में 6 अध्यापकों व 1 क्लर्क का पद पिछले लंबे अर्से से खाली चल रहे हैं। शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों में टी.जी.टी. नॉन मैडीकल, इसके अतिरिक्त 1 क्लर्क का पद भी पिछले 9 वर्षों से रिक्त चल रहा है। शास्त्री, एल.टी., पी.ई.टी. व ड्राइंग के अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं।

इसके अतिरिक्त एक क्लर्क का पद भी पिछले 9 वर्षों से रिक्त चल रहा है, वहीं धबीरी स्कूल में भी 4 अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं, जिस कारण बच्चों को पढ़ाई करने में परेशानी उठानी पड़ रही है। स्कूल में रिक्त चल रहे पदों में टी.जी.टी. साइंस, आर्ट्स, पी.ई.टी., और डी.पी.आई. का पद रिक्त चल रहा है।

हालांकि डी.पी.आई. का पद हाल ही में तबादला होने से रिक्त हुआ है लेकिन बाकी के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। स्कूलों में रिक्त चल रहे अध्यापकों के पदों के कारण बच्चों की पढ़ाई में विलम्ब हो रहा है।
 

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