आतंकवादियों से लोहा लेकर जान देने वाले इस शहीद के गांव का है ऐसा हाल

Edited By Updated: 11 Feb, 2016 05:02 PM

martyr jagdish chandra village

देश को आतंकियों के हमलों से बचाने में अपनी जान को दाव पर लगाने वाले वीर जवानों की शहादत पर तो बड़ी-बड़ी घोषणाएं सरकारों द्वारा की जाती हैं लेकिन हैरानी तो तब होती है जब किसी शहीद जवान के...

चुवाड़ी (चंबा): देश को आतंकियों के हमलों से बचाने में अपनी जान को दाव पर लगाने वाले वीर जवानों की शहादत पर तो बड़ी-बड़ी घोषणाएं सरकारों द्वारा की जाती हैं लेकिन हैरानी तो तब होती है जब किसी शहीद जवान के गांव वालों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा पाने के लिए तरसता हुआ देखा जाता है। ऐसी स्थिति इन दिनों भटियात विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली पंचायत बलाणा के गांव वासा की बनी हुई है। 


इस गांव के वीर सपूत जगदीश चंद ने पठानकोट में मौजूद भारतीय सेना के एयरबेस में घुसे आतंकवादियों के साथ लोहा लेकर जो शहादत पाई है, उसे अभी तक देश ने भुलाया नहीं है। लेकिन उसके गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने की जो उम्मीद जगी थी, वह अब समाप्त होती नजर आने लगी है। अभी तक इस गांव को वन विभाग द्वारा कई वर्ष पूर्व बनाई गई जीप योग्य कच्ची सड़क पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है।


सड़क सुविधा न मिलने के चलते वासा के लोगों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए 1 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। इतना जरूर है कि इस गांव में टैक्सियां पहुंच जाती हैं लेकिन उनके किराए इतने अधिक हैं कि हर आदमी के लिए उसका भुगतान करना संभव नहीं होता। जानकारी के अनुसार द्रमण-गोला रोड से वासा गांव तक पहुंचने के लिए पैदल 1 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जब जगदीश चंद की शहादत को पूरा देश सलाम कर रहा था तो प्रदेश सरकार ने भी अपने इस जवान की शहादत को सलाम करते हुए कई घोषणाएं कीं। लेकिन अफसोस की बात है कि महज चंद सप्ताह पूर्व जिस जगदीश चंद पर सरकार को गर्व था, आज तक उसके गांव को मूलभूत सुविधाओं में शुमार सड़क तक मुहैया करवाने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। 

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